इसरो ने बिना बोली लगाए एस-बैंड के 70 स्पेक्ट्रम देवास मल्टीमीडिया को 20 साल के लिए मात्र 1000 करोड़ में आवंटित किए
2010 में ऐसे ही केवल 15 मेगाहर्ट्ज़ का आवंटन हुआ था जिसके लिए सरकार को करीब 67 हज़ार करोड़ की कमाई हुई थी
इसरो अंतरिक्ष विभाग के तहत आता है, जिसका प्रभार सीधे प्रधानमंत्री के पास है
देश में घोटालों का मौसम खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है और सरकार हर बार की तरह इसकी भी जांच कराए जाने की बात कह रही है।
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक एस-बैंड स्पेक्ट्रम की बिक्री में हुए 2 लाख करोड़ रुपये का यह घोटाला देश की सुरक्षा को ताक पर रखकर किया गया था।
सीएजी यानी देश के नियंत्रक एंव महालेखा परीक्षक ने इस मामले की तहकीकात शुरू करके इसरो और अंतरिक्ष विभाग से पूछताछ शुरू कर दी है। कैग के मुताबिक अभी मामले की जांच चल रही है और किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। उधर सरकार ने कहा है कि वो इस पूरे मामले को देखेगी।
दरअसल, 2005 में इसरो की कमर्शल यूनिट एंट्रिक्स कॉपोरेशन लिमिटेड और देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच स्पेक्ट्रम को लेकर 20 साल का करार हुआ था।
इस करार के तहत इसरो ने देवास मल्टीमीडिया के लिए दो उपग्रह लॉन्च किए थे। लेकिन हिंदू बिज़नेस लाइन का दावा है कि इस समझौते के तहत कंपनी को ये अधिकार भी दे दिया गया कि वो एस-बैंड स्पेक्ट्रम के 70 मेगाहर्ट्ज़ का बेतहाशा इस्तेमाल करे।
क्या है देवास मल्टीमीडिया
देवास मल्टीमीडिया बंगलौर की एक कंपनी है जिसके प्रमुख इसरो के पूर्व अधिकारी एमजी चंद्रशेखर हैं। 2008 में डॉच्चे टेलीकॉम ने देवास में 17 प्रतिशत की हिस्सेदारी के लिए 75 मिलियन डॉलर का निवेश किया। अंतरराष्ट्रीय निवेशकों में कोलंबिया कैपीटल और टेलीकॉम वेन्चर्स ने भी पैसा लगाया।
इस कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में किरन कार्णिक, लैरी बेबियो और गैरी पार्सन्स जैसे दिग्गज शामिल हैं।
प्रधानमंत्री पर साधा निशाना
खास बात यह है कि यह विभाग सीधे प्रधानमंत्री के नियंत्रण में आता है। इस लिहाज से इस घोटाले में पीएम मनमोहन सिंह भी घेरे में आ गए हैं।
राजकोष को लाखों करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के मामले पर भाजपा और वामदलों ने गहरी चिंता जताई है। सरकार बजट सत्र से महज पखवाड़े पहले एक और मुसीबत में घिरती नजर आ रही है।
जनता पार्टी ने इस मामले को गंभीर करार देते हुए तुरंत इसकी जांच कराए जाने की मांग की है। भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने यहां कहा, ‘‘ यह पूरा मामला धोखाधडी का है और इसके परिणामस्वरूप देश को न सिर्फ़ राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि हम बहुमूल्य राष्ट्रीय संपत्ति भी गंवा रहे हैं, जो दुर्लभ स्पेक्ट्रम के रूप में है।’’
[साभार hindi times .com ]
2010 में ऐसे ही केवल 15 मेगाहर्ट्ज़ का आवंटन हुआ था जिसके लिए सरकार को करीब 67 हज़ार करोड़ की कमाई हुई थी
इसरो अंतरिक्ष विभाग के तहत आता है, जिसका प्रभार सीधे प्रधानमंत्री के पास है
देश में घोटालों का मौसम खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है और सरकार हर बार की तरह इसकी भी जांच कराए जाने की बात कह रही है।
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक एस-बैंड स्पेक्ट्रम की बिक्री में हुए 2 लाख करोड़ रुपये का यह घोटाला देश की सुरक्षा को ताक पर रखकर किया गया था।
सीएजी यानी देश के नियंत्रक एंव महालेखा परीक्षक ने इस मामले की तहकीकात शुरू करके इसरो और अंतरिक्ष विभाग से पूछताछ शुरू कर दी है। कैग के मुताबिक अभी मामले की जांच चल रही है और किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। उधर सरकार ने कहा है कि वो इस पूरे मामले को देखेगी।
दरअसल, 2005 में इसरो की कमर्शल यूनिट एंट्रिक्स कॉपोरेशन लिमिटेड और देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच स्पेक्ट्रम को लेकर 20 साल का करार हुआ था।
इस करार के तहत इसरो ने देवास मल्टीमीडिया के लिए दो उपग्रह लॉन्च किए थे। लेकिन हिंदू बिज़नेस लाइन का दावा है कि इस समझौते के तहत कंपनी को ये अधिकार भी दे दिया गया कि वो एस-बैंड स्पेक्ट्रम के 70 मेगाहर्ट्ज़ का बेतहाशा इस्तेमाल करे।
क्या है देवास मल्टीमीडिया
देवास मल्टीमीडिया बंगलौर की एक कंपनी है जिसके प्रमुख इसरो के पूर्व अधिकारी एमजी चंद्रशेखर हैं। 2008 में डॉच्चे टेलीकॉम ने देवास में 17 प्रतिशत की हिस्सेदारी के लिए 75 मिलियन डॉलर का निवेश किया। अंतरराष्ट्रीय निवेशकों में कोलंबिया कैपीटल और टेलीकॉम वेन्चर्स ने भी पैसा लगाया।
इस कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में किरन कार्णिक, लैरी बेबियो और गैरी पार्सन्स जैसे दिग्गज शामिल हैं।
प्रधानमंत्री पर साधा निशाना
खास बात यह है कि यह विभाग सीधे प्रधानमंत्री के नियंत्रण में आता है। इस लिहाज से इस घोटाले में पीएम मनमोहन सिंह भी घेरे में आ गए हैं।
राजकोष को लाखों करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के मामले पर भाजपा और वामदलों ने गहरी चिंता जताई है। सरकार बजट सत्र से महज पखवाड़े पहले एक और मुसीबत में घिरती नजर आ रही है।
जनता पार्टी ने इस मामले को गंभीर करार देते हुए तुरंत इसकी जांच कराए जाने की मांग की है। भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने यहां कहा, ‘‘ यह पूरा मामला धोखाधडी का है और इसके परिणामस्वरूप देश को न सिर्फ़ राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि हम बहुमूल्य राष्ट्रीय संपत्ति भी गंवा रहे हैं, जो दुर्लभ स्पेक्ट्रम के रूप में है।’’
[साभार hindi times .com ]
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