2 स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस हो रही है. विपक्ष इस घोटाले की जांच जेपीसी से कराना चाहता है तो सरकार कह रही है कि इस घोटाले की पीएसी करने में सक्षम है. तो जानते हैं आखिर क्या है जेपीसी?
जेपीसी अंग्रेजी अक्षर के JPC से बना है, जिसका पूरा मतलब होता है. ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी. ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी संसद की वह समिति जिसमें सभी दलों को समान भागीदारी हो. जेपीसी को यह अधिकार है कि वह किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी उस पक्ष को बुला सकती है जिसको लेकर जेपीसी का गठन हुआ है.
अगर वह जेपीसी के समक्ष पेश नहीं होता है तो यह संसद की अवमानना का उल्लघंन माना जाएगा. जेपीसी संबंधित व्यक्ति या संस्था से इस बाबत लिखित या मौखिक जवाब या फिर दोनों मांग सकती है.
भारतीय संसद के इतिहास में अब तक 4 बार जेपीसी का गठन हो चुका है.
6 अगस्त 1987 को पहली बार बोफोर्स घोटाले को लेकर पहली बार जेपीसी का गठन हुआ.
6 अगस्त 1992 को दूसरी बार तब जेपीसी का गठन हुआ जब हर्षद मेहता का शेयर घोटाले की जांच करनी थी.
26 अप्रैल, 2001 को एक बार फिर शेयर बाजार में हुए घोटाले के कारण जेपीसी का गठन हुआ.
अगस्त 2003 में चौथी और अंतिम जेपीसी का गठन भारत में बनने वाले सॉफ्ट ड्रिंक्स और अन्य पेय पदार्थों में कीनटाशक होने की जांच के लिए किया गया था.
2 स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस हो रही है. विपक्ष इस घोटाले की जांच जेपीसी से कराना चाहता है तो सरकार कह रही है कि इस घोटाले की पीएसी करने में सक्षम है. तो जानते हैं आखिर क्या है जेपीसी?जेपीसी अंग्रेजी अक्षर के JPC से बना है, जिसका पूरा मतलब होता है. ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी. ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी संसद की वह समिति जिसमें सभी दलों को समान भागीदारी हो. जेपीसी को यह अधिकार है कि वह किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी उस पक्ष को बुला सकती है जिसको लेकर जेपीसी का गठन हुआ है.अगर वह जेपीसी के समक्ष पेश नहीं होता है तो यह संसद की अवमानना का उल्लघंन माना जाएगा. जेपीसी संबंधित व्यक्ति या संस्था से इस बाबत लिखित या मौखिक जवाब या फिर दोनों मांग सकती है.
भारतीय संसद के इतिहास में अब तक 4 बार जेपीसी का गठन हो चुका है.
6 अगस्त 1987 को पहली बार बोफोर्स घोटाले को लेकर पहली बार जेपीसी का गठन हुआ.
6 अगस्त 1992 को दूसरी बार तब जेपीसी का गठन हुआ जब हर्षद मेहता का शेयर घोटाले की जांच करनी थी.
26 अप्रैल, 2001 को एक बार फिर शेयर बाजार में हुए घोटाले के कारण जेपीसी का गठन हुआ.
अगस्त 2003 में चौथी और अंतिम जेपीसी का गठन भारत में बनने वाले सॉफ्ट ड्रिंक्स और अन्य पेय पदार्थों में कीनटाशक होने की जांच के लिए किया गया था
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