पिछले दो महिनों के भीतर देश में एक के बाद एक कई घोटालों से पर्दा उठा है और इससे केन्द्र सरकार को शर्मिंदा होना पड रहा है. भारत भ्रष्टाचार के मामले में अन्य देशों से काफी आगे है और यह देश के विकास को बाधित करने वाली एक सबसे बडी समस्या भी है. पिछले दो दशकों के दौरान कई बडे घोटाले सामने आए हैं. इनमें से प्रमुख 7 घोटाले ये थे -
2जी स्पैक्ट्रम घोटाला
संचार मंत्री अन्दीमुथु राजा ने बाजार भाव की परवाह किए बिना सात साल पहले के भावों से 2जी स्पैक्ट्रम का आवंटन कर दिया. सरकार को इससे 39 अरब का नुकसान हुआ. इस घोटाले के पर लम्बे समय तक पर्दा डालने का प्रयास किया गया. परंतु आखिर में भारी दबाव के चलते संचार मंत्री ए. राजा से त्यागपत्र मांगा गया. परंतु सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी कठघरे में खडा करते हुए पूछा कि उन्होनें जाँच कराने में देरी क्यों की?
हाउसिंग लोन घोटाला -
एक वर्ष की जाँच के बाद सीबीआई ने एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रमुख सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया. इनके ऊपर कोर्पोरेट लोन के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया. जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई उनमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के शीर्ष पदाधिकारी भी थे. यह घोटाला कितना बडा है इसका अंदाजा नहीं लग पाया है परंतु अनुमान है कि यह यह कई हजार करोड तक जाएगा.
कॉमनेवैल्थ खेल घोटाला
दिल्ली कॉमनेवैल्थ खेल 2010 शांतिपूर्वक सम्पन्न तो हो गया परंतु घोटालों की काली छाई इस पर भी मंडराती रही. निर्माण कार्यों में अवांछित देरी और अनाप शनाप खर्चों ने भारतीय ऑलम्पिक संघ, दिल्ली सरकार, दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली नगर निगम सहित केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय को भी कठघरे में खडा किया. कभी 2000 करोड के बजट वाले इस खेल आयोजन के पीछे 60000 करोड से अधिक खर्च कर दिए गए. अब सीबीआई इस घोटाले की जाँच कर रही है.
आदर्श सोसाइटी घोटाला -
कारगिल के शहीदों के परिवारवालों के लिए बनी इस सोसाइटी पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं, बाबुओं और सेना के ऊपरी अधिकारियों ने कब्जा कर लिया. स्वयं मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण इस घोटाले में फंस गए और उन्हें इस्तीफा देना पडा. यह सोसाइटी मुम्बई के एक सबसे महंगे इलाके में बनी है. यह इमारत कई अन्य विवादों में भी फंसी है. आरोप है कि बिल्डर ने पर्यावरण संबंधित तथा जमीन संबंधित कानूनों पर ध्यान नहीं दिया.
सत्यम घोटाला -
एक दिन सत्यम कम्प्यूटर्स के संस्थापक रामलिंग राजू ने एक चिट्ठी लिखी और भूचाल आ गया. उन्होनें लिखा कि किस तरह से वर्षों तक कम्पनी ने लाभ अर्जित करने के झूठे आँकडे दिखाए. 1 बिलियन के लगभग इस घोटाले को भारत का एनरोन भी कहा जाता है.
हर्षद मेहता घोटाला-
1992 में बोम्बे स्टोक एक्ष्सेंज में तूफान सा आ गया था. संसेक्स तेजी से ऊपर चढ रहा था. परंतु पर्दे के पीछे का खेल कुछ और ही था. कई भारतीय शेयर दलालों ने इंटर बैंक ट्रांसेक्शन के साथ बाजार को उफान पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसमें कई देशी और विदेशी बैंकें, बाबु और नेता भी शामिल थे. जब इस घोटाले से पर्दा उठा तो दो महिने के भीतर बाजार 40% तक गिर गया और लोगों के लाखों-करोडों रूप डूब गए. मुख्य अभियुक्त हर्षद मेहता का 2002 में निधन हो गया.
बोफोर्स तोप घोटाला-
भारत ने जब स्वीडन से बोफोर्स तोप खरीदी तब आरोप लगा कि इस तोप को खरीदने के लिए दबाव बनाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नजदीकी लोगों को रिश्वत दी गई थी. इस घोटाले की वजह से कांग्रेस का विभाजन हुआ और 1989 के आम चुनावों में पार्टी की हार हुई. यह केस वर्षों से चल रहा है और शायद वास्तविकता कभी सामने ना आ पाए.
2जी स्पैक्ट्रम घोटाला
संचार मंत्री अन्दीमुथु राजा ने बाजार भाव की परवाह किए बिना सात साल पहले के भावों से 2जी स्पैक्ट्रम का आवंटन कर दिया. सरकार को इससे 39 अरब का नुकसान हुआ. इस घोटाले के पर लम्बे समय तक पर्दा डालने का प्रयास किया गया. परंतु आखिर में भारी दबाव के चलते संचार मंत्री ए. राजा से त्यागपत्र मांगा गया. परंतु सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी कठघरे में खडा करते हुए पूछा कि उन्होनें जाँच कराने में देरी क्यों की?
हाउसिंग लोन घोटाला -
एक वर्ष की जाँच के बाद सीबीआई ने एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रमुख सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया. इनके ऊपर कोर्पोरेट लोन के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया. जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई उनमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के शीर्ष पदाधिकारी भी थे. यह घोटाला कितना बडा है इसका अंदाजा नहीं लग पाया है परंतु अनुमान है कि यह यह कई हजार करोड तक जाएगा.
कॉमनेवैल्थ खेल घोटाला
दिल्ली कॉमनेवैल्थ खेल 2010 शांतिपूर्वक सम्पन्न तो हो गया परंतु घोटालों की काली छाई इस पर भी मंडराती रही. निर्माण कार्यों में अवांछित देरी और अनाप शनाप खर्चों ने भारतीय ऑलम्पिक संघ, दिल्ली सरकार, दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली नगर निगम सहित केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय को भी कठघरे में खडा किया. कभी 2000 करोड के बजट वाले इस खेल आयोजन के पीछे 60000 करोड से अधिक खर्च कर दिए गए. अब सीबीआई इस घोटाले की जाँच कर रही है.
आदर्श सोसाइटी घोटाला -
कारगिल के शहीदों के परिवारवालों के लिए बनी इस सोसाइटी पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं, बाबुओं और सेना के ऊपरी अधिकारियों ने कब्जा कर लिया. स्वयं मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण इस घोटाले में फंस गए और उन्हें इस्तीफा देना पडा. यह सोसाइटी मुम्बई के एक सबसे महंगे इलाके में बनी है. यह इमारत कई अन्य विवादों में भी फंसी है. आरोप है कि बिल्डर ने पर्यावरण संबंधित तथा जमीन संबंधित कानूनों पर ध्यान नहीं दिया.
सत्यम घोटाला -
एक दिन सत्यम कम्प्यूटर्स के संस्थापक रामलिंग राजू ने एक चिट्ठी लिखी और भूचाल आ गया. उन्होनें लिखा कि किस तरह से वर्षों तक कम्पनी ने लाभ अर्जित करने के झूठे आँकडे दिखाए. 1 बिलियन के लगभग इस घोटाले को भारत का एनरोन भी कहा जाता है.
हर्षद मेहता घोटाला-
1992 में बोम्बे स्टोक एक्ष्सेंज में तूफान सा आ गया था. संसेक्स तेजी से ऊपर चढ रहा था. परंतु पर्दे के पीछे का खेल कुछ और ही था. कई भारतीय शेयर दलालों ने इंटर बैंक ट्रांसेक्शन के साथ बाजार को उफान पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसमें कई देशी और विदेशी बैंकें, बाबु और नेता भी शामिल थे. जब इस घोटाले से पर्दा उठा तो दो महिने के भीतर बाजार 40% तक गिर गया और लोगों के लाखों-करोडों रूप डूब गए. मुख्य अभियुक्त हर्षद मेहता का 2002 में निधन हो गया.
बोफोर्स तोप घोटाला-
भारत ने जब स्वीडन से बोफोर्स तोप खरीदी तब आरोप लगा कि इस तोप को खरीदने के लिए दबाव बनाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नजदीकी लोगों को रिश्वत दी गई थी. इस घोटाले की वजह से कांग्रेस का विभाजन हुआ और 1989 के आम चुनावों में पार्टी की हार हुई. यह केस वर्षों से चल रहा है और शायद वास्तविकता कभी सामने ना आ पाए.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें