रविवार, 24 दिसंबर 2017

11 बड़े घोटाले, जो लाए देश की राजनीति में भूचाल

 चारा घोटाले में शनिवार को अदालत ने अपने फैसला सुनाते हुए आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव समेत 16 लोगों को दोष करार दे दिया है। हालांकि ये पहला घोटाला नहीं है, जिसमें किसी राजनेता या कोई बड़ी हस्ती का नाम आया हो और उसे सजा मिली हो। आजादी के बाद से अबतक लगभग 40 घोटाले एेसे हुए, जिसने देश-दुनिया में तहलका मचा दिया। आइए हम आपको एेसे ही 11 बड़े घोटालों के बारे में बताते हैं, जिसने देश की राजनीति को हिलाकर रख दिया।
 
जीप घोटाला (1948)
देश में घोटाले आजादी के बाद से ही शुरू हो गए थे। इसकी शुरुआत जीप घोटाले से हुई। यह देश में होने वाला पहला घोटाला था। आजादी के बाद भारत सरकार ने एक लंदन की कंपनी से 2000 जीपों को सौदा किया था। सौदा 80 लाख रुपए का था लेकिन इसमें केवल 155 जीप ही मिल पाई। घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वीके कृष्ण मेनन का हाथ होने की बात सामने आई थी लेकिन 1955 में केस बंद कर दिया गया।
 
मारुति घोटाला (1974) 
इस घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम आया था। इस घोटाले का खुलासा 1974 में हुआ था। मारुति कंपनी बनने से पहले यहां एक घोटाला हुआ था। इस मामले में पैसेंजर कार बनाने का लाइसेंस देने के लिए संजय गांधी की मदद की गई थी।
 
बोफोर्स घोटाला (1987)
1986 में स्वीडन की ए बी बोफोर्स कंपनी से 155 तोपें खरीदने का सौदा तय किया गया। कहा गया कि इस सौदे को पाने के लिए 64 करोड़ रुपये की दलाली दी गई थी। इसमें स्वीडन की एक कंपनी बोफोर्स एबी से रिश्वत लेने के मामले में राजीव गांधी और ओटावियो क्वात्रोची  का नाम सामने आया था।
 
स्टॉक मार्केट (1992 व 2002)
स्टॉक माक्रेट में 10 साल के अंतराल में दो बड़े घोटाले हुए थे। पहला साल 1992 में हर्षद मेहता ने धोखाधाड़ी से बैंकों का पैसा स्टॉक मार्केट में निवेश कर दिया, जिससे स्टॉक मार्केट को करीब 5000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इसके स्टॉक ब्रोकर केतन पारीख ने स्टॉक मार्केट में 1,15,000 करोड़ रुपए का घोटाला किया। दिसंबर, 2002 में इन्हें गिरफ्तार किया गया।
 

यूरिया घोटाला (1996)
इस मामले में 26 मई, 1996 को 133 करोड़ रुपए घपले का मामला दर्ज हुआ था।नेशनल फर्टिलाइजर के एमडी सीएस रामकृष्णन ने कई अन्य व्यापारियों, जो कि नरसिम्हाराव के नजदीकी थे, के साथ मिलकर दो लाख टन यूरिया आयात करने के मामले में सरकार को 133 करोड़ रुपए का चूना लगाया। यह यूरिया कभी भारत तक पहुंच ही नहीं पाई। इसमें किसी को सजा नहीं हुई।
 

चारा घोटाला (1996)
साल 1996 में बिहार में हुआ यह उस समय का सबसे बड़ा घोटाला था। चारा घाटाले ने देश में सनसनी फैला दी थी, क्योंकि यह एेसा घोटाला था, जो एक-दो करोड़ रुपए से शुरू होकर अब 900 करोड़ रुपए तक जा पहुंचा है। इस घपले के सूत्रधार बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे। आज इस चर्चित घोटाले में लालू यादव समेत कई लोगों को दोषी करार दिया गया है और 3 जनवरी को उन्हें सुनाई जाएगी।
 
आदर्श घोटाला (2002)
आदर्श कोऑपरेटिव सोसाइटी ने गैर कानूनी तरीके से कोलाबा के आवासीय क्षेत्र नेवी नगर और रक्षा प्रतिष्ठान के आसपास इमारत का निर्माण किया। इस घोटाले का आरम्भ फरवरी 2002 में हुआ। यह योजना कारगिल युद्ध में शहीद हुए लोगों के परिवार वालों के लिए बनाई गई थी, जबकि इसके फ्लैट्स 80 फीसदी असैनिक नागरिकों को आवंटित किए गए। इस घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण नाम आने से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। 
 
स्टांप घोटाला (1995)
यह घोटाला भारत में हुए अब तक के घोटालों में कुछ न अलग और नया था। इसमें अब्दुल करीम तेलगी ने स्टांप की हेरा फेरी कर देश को 20 हजार करोड़ रुपए का चूना लगाया था। 1995 में तेलगी के ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए गए लेकिन गिरफ़्तारी 2001 में ही हो सकी।
 
सत्यम घोटाला (2009)
सत्यम घोटाला कॉरपोरेट जगत में अबतक का सबसे बड़ा घोटाला बना, जो 7 जनवरी 2009 को सामने आया था। देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी सत्यम कंप्यूटर सर्विस ने रियल इस्टेट और शेयर मार्केट के जरिए देश को लगभग 14 हजार करोड़ की चपत लगाई। कंपनी के चेयरमैन रामालिंगा राजू ने लोगों को काफी समय तक अंधेरे में रखा और शेयर के सारे पैसे हजम कर लिए।
 
कॉमनवेल्थ घोटाला (2008)
इस घोटाले में खेल के नाम पर जमकर लूट-खसोट की गई थी। घोटाले के सूत्रधार आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी और उनके सहयोगी रहे। 2008 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियों के लिए राजधानी दिल्ली में आयोजन से विकासकार्य कराए, जिसमें जमकर बंदरबांट किया गया। इसमें करीब 70 हजार करोड़ का घपला सामने आया था।
 
2G घोटाला (2011)
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला भारत का एक बहुत बड़ा घोटाला है। यह साल 2011 की शुरुआत के दौरान प्रकाश में आया था। 1.76 लाख करोड़ के इस चर्चित घोटाले ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। इस घोटाले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा पर गाज गिरी। हालांकि सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 21 दिसंबर 2017 को घोटाले के सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।

साभार- पंजाब केशरी

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