बुधवार, 2 अप्रैल 2014

सीएपीडी के 147 कर्मचारियों की संपत्ति व बैंक खाते सील

उपभोक्ता मामले एवं जनवितरण (सीएपीडी) विभाग में आए दिन होने वाले राशन घोटालों और लंबी जांच प्रक्रिया पर कड़ा संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने विभाग के 147 आरोपी कर्मचारियों की संपत्ति व बैंक खाते सील करने का निर्देश दिया है। बेंच ने कहा है कि अगली सुनवाई तक ये कर्मचारी अपनी चल-अचल संपत्ति से छेड़छाड़ न करें और न ही बैंक खातों में कोई लेनदेन करें। बेंच ने इन कर्मचारियों और उनके पति-पत्नी, भाई-बहन व बच्चों के नाम चल-अचल संपत्ति व उनके बैंक खातों का ब्योरा भी मांगा है।
बेंच ने विभाग के कमिश्नर सेक्रेटरी को सभी कर्मचारियों को नोटिस जारी करने को कहा, ताकि आरोपियों की जवाबदेही तय की जा सके। बेंच ने विभाग को एक सप्ताह के भीतर इन सभी 147 कर्मचारियों व अधिकारियों के नाम समाचार पत्रों में भी प्रकाशित करने का निर्देश दिया है।
बेंच ने यह महत्वपूर्ण व दूरगामी निर्देश विभाग में जारी राशन घोटालों पर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। बेंच ने पाया कि इस जनहित याचिका में अभी तक हुई सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आए हैं कि विभाग में करोड़ों रुपये के राशन घोटाले हुए। कुछ मामलों में क्राइम ब्रांच जांच कर रही है और आरोपी सस्पेंड हैं, लेकिन सरकार ने राशन घोटाले से हुए नुकसान की वसूली करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। बेंच ने पाया कि सुनवाई के दौरान जो स्टेटस रिपोर्ट पेश हुई, उनके अनुसार कश्मीर डिवीजन में 88 कर्मचारी इन घोटालों में संलिप्त पाए गए, जबकि जम्मू डिवीजन में 57 कर्मचारियों पर राशन घोटाले का आरोप है।
बेंच ने पाया कि कश्मीर डिवीजन में अब्दुल राशिद नामक कर्मचारी पर ही 71,18,704.68 रुपये के राशन घोटाले का आरोप है। इसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया, लेकिन सरकार ने वसूली करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। बेंच ने पाया कि ऐसे दर्जनों मामले हैं। बेंच ने कहा कि यह जरूरी है कि इन आरोपियों की जवाबदेही तय की जाए और इनसे वसूली करने की दिशा में भी कदम उठाए जाएं।
साभार- जागरण

बाबू सिंह कुशवाहा की 60 करोड़ की सम्पत्ति जब्त

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले में जेल की सलाखों के पीछे कैद बसपा सरकार के कद्दावर मंत्री और अब सपा की शरण में गए बाबू सिंह कुशवाहा को एक और तगड़ा झटका लगा है। प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने कुशवाहा की नकदी समेत करीब साठ करोड़ रुपये की सम्पत्ति जब्त की है। यह कार्रवाई बांदा, लखनऊ, नोएडा और दिल्ली में की गयी है। इस सम्पत्ति में करीब पांच प्रतिशत हिस्सेदारी देवरिया जिले के पूर्व विधायक राम प्रसाद जायसवाल की है। इडी अब कुशवाहा के खिलाफ मुकदमा चलायेगा।
एनआरएचएम घोटाले में कुशवाहा की गिरफ्तारी के बाद सीबीआइ की रिपोर्ट के आधार पर इडी ने वर्ष 2012 में उनके खिलाफ जांच पंजीकृत की। करीब दो साल की छानबीन के बाद इडी ने पाया कि कुशवाहा ने अपने एजेंटों, नौकरों और सहयोगियों के नाम काफी सम्पत्ति बनाई। जांच की अवधि में इडी ने दो सौ से अधिक लोगों से पूछताछ की और पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद कार्रवाई की। कुशवाहा के खिलाफ पहले चरण की बड़ी कार्रवाई करते हुए इडी ने काफी सम्पत्ति जब्त की है। इसमें कुशवाहा का बैंक में जमा 7.30 करोड़ रुपये भी है। इडी से मिली जानकारी के मुताबिक कुशवाहा की बांदा स्थित तथागत शिक्षा समिति तथा भगवत प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट के भवन जब्त किये गये हैं। राजधानी के गौरी में उनकी सात एकड़ की महंगी जमीन भी जब्त की गयी है। नोएडा में औद्योगिक क्षेत्र की जमीनों के साथ ही दिल्ली और लखनऊ के दो फ्लैट्स भी इडी ने जब्त किये हैं। लखनऊ के फ्लैट्स कालिदास मार्ग चौराहा और पार्क रोड स्थित बहुमंजिला रिहायशी अपार्टमेंट में है, जबकि दिल्ली के पॉश इलाके में भी उनका फ्लैट है। फेक नाम से बनाई गयी इन सम्पत्तियों के जब्त होने से उनके कई साझीदारों के होश उड़ गए हैं।
इडी की अदालत में चलेगा मुकदमा : बाबू सिंह कुशवाहा की जब्त की गयी सम्पत्ति का मुकदमा दिल्ली स्थित इडी की न्यायिक अथारिटी में चलेगा। इस सम्पत्ति को सही रास्ते से हासिल करने संबंधी साक्ष्य दिए जाने का कुशवाहा को मौका मिलेगा। अगर अथारिटी ने कुशवाहा के पक्ष में फैसला नहीं दिया तो यह सारी सम्पत्ति नीलाम कर दी जायेगी।
मुकद्दर ने ला दिया फिर उसी मुकाम पर
यह वक्त का तकाजा है कि बांदा के अतर्रा में लकड़ी का टाल लगाकर अपनी रोजी-रोटी शुरू करने वाले बाबू सिंह कुशवाहा का तकदीर ने साथ दिया तो वह बुलंदियों पर पहुंच गए। बसपा शासन में मिनी मुख्यमंत्री के तौर वह एक हस्ताक्षर बन गए, लेकिन एनआरएचएम घोटाले से तकदीर ने ऐसी पलटी मारी कि फिर वह उसी मुकाम पर आ गए। जिस धन और वैभव के लिए उन्होंने भ्रष्टाचार को अपनी परछाई बना लिया, अब वह भी रेत की तरह मुट्ठी से फिसलने लगा है।
इडी द्वारा साठ करोड़ की सम्पत्ति जब्त किये जाने के बाद बाबू सिंह कुशवाहा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। कयास यही लग रहा है कि अभी उनकी बहुत सी बेनामी सम्पत्तियां जब्त होंगी। पिछले डेढ़ दशक से सुर्खियों में रहे कुशवाहा ने कभी यह सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें ऐसे दिन देखने पड़ेंगे। कांशीराम के सम्पर्क में आने के बाद फर्श से अर्स तक पहुंचे कुशवाहा बबेरू तहसील के पखरौली गांव में कृषक परिवार से हैं। उन्होंने अतर्रा से ही हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की। पांच भाइयों के परिवार में आर्थिक संकट देखकर बाबू सिंह ने अतर्रा में 1986 में लकड़ी का टाल खोल लिया। आइआरडी कंपोनेंट योजना के अंतर्गत बैंकों से मिलकर लोन भी कराने लगे। बसपा के कुछ नेताओं से संपर्क होने के बाद 1988 में बाबू सिंह की मुलाकात कांशीराम से हुयी। दिल्ली कार्यालय में ही बाबू सिंह को संगठन के कार्य की जिम्मेदारी दे दी गयी। यहीं से उनका राजनैतिक सफर शुरू हो गया। इसके बाद लखनऊ बसपा कार्यालय में काम किया फिर बांदा में बसपा जिलाध्यक्ष पद भी 1993 में संभाला। 1994 में ये बसपा सुप्रीमो मायावती के संपर्क में आये। काम के प्रति निष्ठा से नजदीकियां बढ़ती गयी फिर इन्हें लगातार तीन बार विधान परिषद सदस्य नामित किया गया। पहली बार 2003 में पंचायती राज मंत्री का पद मिला। दोबारा सरकार बनी तो बाबू सिंह का कद और बढ़ा दिया गया। उनके पास खनिज, नियुक्ति विभाग, सहकारिता विभाग दिये गये। इतना ही नहीं सीएम के सबसे करीबी मंत्रियों में गिनती होने के साथ अफसरों में इनका खासा रौब और दबाव था। स्कूल, कालेज, जमीन के साथ अकूत संपति बनायी है।
साभार-जागरण कॉम  

शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

स्मारक घोटाला: सिद्दीकी व कुशवाहा समेत 19 पर मुकदमा

सपा सरकार ने नए साल के पहले ही दिन अपने मुख्य विपक्षी बसपा की घेरेबंदी कर दी। सूबे के बहुचर्चित स्मारक घोटाले में पिछली बसपा सरकार के कद्दावर मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा और चहेते अफसरों समेत 19 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार समेत कई प्रमुख धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया है। इस मुकदमे के घेरे में कुल 199 आरोपी हैं। सतर्कता विभाग के महानिदेशक एएल बनर्जी के निर्देश पर बुधवार को देर शाम यह मुकदमा राजधानी के गोमतीनगर थाने में दर्ज किया गया।
इस मामले में वर्ष 2007 में प्रमुख पदों पर तैनात रहे तीन आइएएस अफसर तत्कालीन प्रमुख सचिव आवास और शहरी नियोजन मोहिन्दर सिंह, प्रमुख सचिव पीडब्लूडी रवीन्द्र सिंह और लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष हरभजन सिंह और तत्कालीन प्रमुख अभियंता पीडब्लूडी और अब विधायक त्रिभुवन राम भी जांच के दायरे में होंगे। विवेचना के दौरान भूमिका के आधार पर इनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 30 नवंबर को सतर्कता विभाग को लोकायुक्त जांच के दस्तावेजों का परीक्षण कर मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया था।
स्मारक घोटाले के आरोपी : उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ सेक्टर के निरीक्षक रामनरेश सिंह राठौर की तहरीर पर लखनऊ के गोमतीनगर थाने में 19 लोगों के खिलाफ धारा 409 (अमानत में खयानत) व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की 13 (1) डी और 13 (2) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
1- नसीमुद्दीन सिद्दीकी-पूर्व मंत्री
2. बाबू सिंह कुशवाहा-पूर्व मंत्री
3. सुहेल अहमद फारुखी-जेडी खनन
4. सीपी सिंह-पूर्व एमडी राजकीय निर्माण निगम (आरएनएन)
5.राकेश चन्द्रा-अपर परियोजना प्रबंधक आरएनएन
6. एके सक्सेना-अपर परियोजना प्रबंधक आरएनएन
7.केआर सिंह-इकाई प्रभारी, आरएनएन
8. राजीव गर्ग-स्थानिक अभियंता आरएनएन
9. एसपी गुप्ता-परियोजना प्रबंधक आरएनएन
10. पीके जैन-परियोजना प्रबंधक आरएनएन
11. एके अग्रवाल-परियोजना प्रबंधक आरएनएन
12. आरके सिंह-परियोजना प्रबंधक आरएनएन
13.बीडी त्रिपाठी-इकाई प्रभारी आरएनएन
14. मुकेश कुमार-परियोजना प्रबंधक आरएनएन
15.हीरालाल-परियोजना प्रबंधक आरएनएन
16.एसके चौबे-परियोजना प्रबंधक आरएनएन
17. एसपी सिंह-इकाई प्रभारी आरएनएन
18. एसके शुक्ला-इकाई प्रभारी आरएनएन
19. मुरली मनोहर-इकाई प्रभारी आरएनएन।
सिद्दीकी ने फैसलों का जिम्मेदार ठहराया था कैबिनेट को
इस घोटाले में फंसे पूर्व कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन से ईओडब्ल्यू के अफसरों ने जब एक-एक कर कई सवाल पूछे थे तो उनका जवाब था कि स्मारकों के निर्माण का फैसला बसपा सरकार में कैबिनेट के सदस्यों ने लिया था। उन्होंने वही किया जो कैबिनेट का फैसला था। नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा था कि स्मारकों के निर्माण के लिए बजट एलडीए और अन्य विभाग जो पास करके भेजते थे, उसे कैबिनेट ही पास करती थी।
अब शुरू होगी विवेचना
हमने बुधवार की शाम को मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है। शासन की मंशा के अनुरूप यह कार्रवाई की गयी है। लोकायुक्त जांच की कुल 1200 पन्ने की रिपोर्ट के परीक्षण के बाद यह कार्रवाई की गयी है। मुकदमा दर्ज होने के बाद अब विवेचना की कार्रवाई शुरू होगी।
लखनऊ [जागरण ब्यूरो]।

गुरुवार, 9 जनवरी 2014

425 करोड के घोटाले में फंसे अभिनेता बोमन ईरानी

बॉलीवुड अभिनेता बोमन ईरानी और उनका बेटा दानिश मुश्किलों में फंस गए है। बाप-बेटे पर 425 करोड के घोटाले का आरोप लगा है। इस मामले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में शिकायतकर्ता गुरूप्रीत सिंह ने बोमन ईरानी और उनके बेटे दानिश पर 425 करोड के क्यूनेट घोटाले का मामला दर्ज करवाया है। वेबसाइट मनीलाइफ ने यह जानकारी दी। मामले में पूर्व बिलियर्ड चैंपियन माइकल फरेरा के खिलाफ भी केस दर्ज किया जा चुका है।
पिछले सप्ताह आर्थिक अपराध शाखा ने फरेरा और क्यू नेट के संस्थापक विजय ईश्वरन सहित 10 लोगों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया था। जिनमें से 9 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक दानिश के क्यूनेट से जुडे बैंक अकाउंट में 81 करोड रूपए का ट्रांजेक्शन हुआ है। बोमन ईरानी पर आरोप है कि क्यूनेट के कथित 425 करोड रूपए के घोटाले को उन्होंने प्रोमोट किया और लोगों को गुमराह किया।
फरेरा एक मल्टी-लेवल मार्केटिंग कंपनी क्यूनेट के 425 करोड रूपये के घोटाले से जुडे मामले में पुलिस के सामने हाजिर होने में नाकाम रहे थे। पुलिस ने उन्हें तीन हफ्ते पहले पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए. इससे पहले इस सिलसिले में क्यूनेट के नौ टीम लीडरों को निवेशकों को धोखा देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। क्यूनेट पर अपने मल्टी लेवल मार्केटिंग के लिए प्रतिबंधित बाइनरी पिरामिड बिजनेस मॉडल के इस्तेमाल का भी आरोप है। 8/1/2014

khaskhabar.com, hindi news portal