बुधवार, 23 मार्च 2011

280 लाख करोड़ का सवाल

280 लाख करोड़ का सवाल
है ...
भारतीय गरीब है
लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा" ये कहना है स्विस बैंक के
डाइरेक्टर
का.
स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280
लाख
करोड़ रुपये (280 ,000 ,000 ,000 ,000) उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम
इतनी
है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है.
या
यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते
है
कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है.
ऐसा भी कह
सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा
सकते है. ये रकम
इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर
महीने भी दिए जाये तो 60
साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड
बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत
नहीं है. जरा सोचिये ...

हमारे
भ्रष्ट राजनेताओं और नौकरशाहों ने कैसे देश को लूटा है और
ये लूट का
सिलसिला अभी तक 2011 तक जारी है. इस सिलसिले को अब रोकना
बहुत ज्यादा
जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज
करके
करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे
भ्रष्टाचार  ने
२८० लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख
करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64
सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल
लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने
करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा
स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा
करवाई गई है. भारत को किसी
वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की
कितना पैसा हमारे
भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ
है. हमे
भ्रष्ट  राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार
है.
हाल ही में हुए  घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जी
स्पेक्ट्रुम
घोटाला, आदर्श होउसिंग घोटाला ... और ना जाने कौन कौन से घोटाले
अभी
उजागर होने वाले है ........

मंगलवार, 22 मार्च 2011

कैसे बना हसन अली अरबपति?

पुणे के घुड़दौड़ कारोबारी का धन 6 सालों में सौ गुना बढ़ गया। कैग से आज संसद में अपनी रिपोर्ट में बताया कि हसनअली खान की आय 2001-02 में 528.9 करोड़ थी, महज 6 साल में इसकी संपत्ति की उड़ान सौ गुना से भी अधिक हो गई, जो 54,268 .6 करोड़ रूपए तक पहुंच गई। हजारों करोड़ कमाने के बावजूद इसने अभी तक रिटर्न फाइल नहीं की है, कोई भी टैक्स नहीं दिया है। वर्तमान में हसन अली इडी की गिरफ्त में है।

5 साल पहले पड़ा था छापा हसन अली का नाम पहली बार सुर्खियों में पांच साल पहले तब आया जब आयकर विभाग ने पुणो में कोरेगांव पार्क स्थित उसके घर पर छापा मारा। गुप्तचर एजेंसियां हसन अली पर एक अर्से से नजर गड़ाए बैठी थीं। एक टेलीफोन वार्ता गुप्तचर एजंसियों ने टेप की थी, जिसमें हसन अली यूनियन बैंक आफ स्विट्जरलैंड के अपने पोर्टफोलियो मैनेजर से बात कर रहा था। उस पोर्टफोलियो मैनेजर से जितनी बड़ी रकम की ट्रांसफर की बात सुनी गई, उससे टेलीफोन सुनने वाले चकरा गए।

टेलीफोन वार्ता को गुप्तचर एजेंसियों की मानीटरिंग एजेंसी को सौंपा गया। अधिकारियों की समझ में नहीं आ रहा था कि हसन अली पर हाथ डाला कैसे जाए? निर्णय किया गया कि आयकर विभाग हसन अली के घर छापा मारेगा। आयकर अधिकारी जब हसन अली के घर पर छापा मारने पहुंचे तो एक मध्यमवर्गीय परिवार के मकान में 8.04 बिलियन डॉलर (करीब 38 हजार करोड़ रुपए) यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड (यूबीएस बैंक) में जमा होने के दस्तावेज मिले। आयकर विभाग के इस छापे के बाद पहली बार हसन अली का नाम सुर्खियों में आया।

इसके बाद विदेशी धन के स्रोतों की जांच की अभ्यस्त एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू की, लेकिन जल्द ही उन्हें अहसास हो गया कि वे हसन अली की ऐसी अंधी गली में प्रवेश कर गए हैं जिसका कोई अंत नहीं है। एक सीमा से आगे जाने के उनके सारे रास्ते बंद नजर आने लगे, क्योंकि हसन अली के बड़े-बड़े नेताओं से संबंध हैं। आयकर विभाग भी इस जांच को न तो जारी रख पा रहा था और न ही बंद कर पा रहा था।

आयकर नियमावली ऐसी है कि छापे के दौरान आयकर विभाग जब कागजात जब्त करता है तो वह तब तक फाइल बंद नहीं कर सकता जब तक कि संबंधित व्यक्ति खुद यह साबित न कर दे कि उसके यहां मिले कागज अर्थहीन हैं। अगर संबंधित व्यक्ति यह साबित नहीं सकता है तो उसके खिलाफ आयकर विभाग कार्रवाई करने के लिए बाध्य होता है। इसलिए आयकर विभाग ने हसन अली के पास से बरामद दस्तावेजों के आधार पर उसके खिलाफ करीब 40 हजार करोड़ रुपए का कर बकाया होने का नोटिस जारी किया।

इनसे जुड़ा है नाम हसन अली खान के स्विस खातों और अकूत दौलत की शुरूआत 1982 में 15 लाख डॉलर से हुई थी। इस पूरे घटनाक्रम के दो प्रमुख पात्र हैं, एक तो अदनान खशोगी और दूसरा पीटर वैली। सऊदी का निवासी अदनान खशोगी 1980 में दुनिया का सबसे अमीर आदमी था। वह दुनिया के बड़े हथियार डीलरों में एक है।

स्विस बैंक का पोर्टफोलियो मैनेजर पीटर वैली खशोगी का पोर्टफोलियो देखता था और बाद में वह खान का भी मैनेजर बन गया। हसन पर आरोप है कि उसने अदनान खशोगी के अवैध धन को निवेश करने में मदद की और बड़े पैमाने पर उसका धन भारत में भी खपाया। खुफिया एजेंसियों को शक है कि खान के संबंध दाऊद से भी हैं। ईडी इसकी भी जांच कर रहा है कि क्या हसन ने अरबों डॉलर का कालाधन पार्टिसिपेटरी नोट (पीएन) के जरिए भारत के शेयर बाजारों में लगाया है। यदि हां, तो वह राशि कितनी है?

बड़े नेताओं का है हाथ हसन अली पर सालों से नजर रख रही कई सरकारी एजेंसियां अगर उसे गिरफ्तार नहीं कर सकीं तो यह सिर्फ उनकी नाकामी नहीं है। इसके पीछे का कारण कुछ और है। हसन को कई बड़े नेताओं का आश्रय मिला है। एक वीडियो रिकॉर्डिग में जब पुलिस वाले हसन से उसके स्विस बैंक में जमा रुपयों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं तो वह उनसे कह रहा है कि तुम लोग पासपोर्ट के बारे में पूछो। यूसुफ लकड़वाला की दो नेताओं से बात चल रही है, स्विस बैंक का मामला सेटल हो जाएगा। वर्तमान परिस्थितियों में उसका दावा सही साबित होता दिख रहा है। केंद्रीय जांच एजेंसियां भी उस पर तभी हाथ डालती हैं, जब सुप्रीम कोर्ट कड़ा रुख अपनाती हैं।

शीर्ष अदालत हुई सख्तशीर्ष अदालत ने सरकार से पूछा कि हथियार कारोबारियों और आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों से संपर्क रखने के आरोप में हसन अली के खिलाफ पोटा सहित अन्य सख्त कानूनों के तहत मुकदमा क्यों नहीं दर्ज कराया गया? विदेशों में काला धन रखने के आरोप में ईडी ने हसन को गत सोमवार देर रात गिरफ्तार किया था।

आयकर विभाग ने 2007 में हसन अली के घर छापा भी मारा था। आरोप है कि हसन अली विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के लिए एजेंट के तौर पर काम करता है। इसके बदले वह ऐसे लोगों से कमीशन वसूलता है। खान पर 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक की कर चोरी का भी आरोप है।

सरकार ने पिछले साल राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि हसन अली पर यह बकाया ब्याज सहित 70 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक हो गया है। ईडी ने 2007 में स्विस बैंक से हसन अली के अकाउंट का ब्यौरा मांगा था। मगर, स्विस बैंक ने उससे जुड़ी जानकारियां भारतीय जांच एजेंसियों को साझा करने से मना कर दिया था। उन्होंने इसके लिए तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करना स्विस कानूनों के तहत अपराध नहीं है।

हेल्थ बजट से ज्यादा टैक्स इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हसन अली व उसके सहयोगियों से अब 71 हजार 845 करोड़ रुपए टैक्स की मांग की है। यह राशि देश के स्वास्थ्य बजट और सालान वसूले जाने वाले सर्विस टैक्स से ज्यादा है। इसके अलावा, यह राशि हमारे देश के इस साल के रक्षा बजट (1.64 लाख करोड़ रुपए) से आधे से थोड़ी ही कम है।

जाहिर है जब टैक्स बकाया इतना है तो कमाई कितनी होगी। वैसे आपको बता दें कि हैदराबाद का राजीव गांधी क्रिकेट स्टेडियम 65 हजार करोड़ में बना था। इसमें 40 हजार लोग बैठ सकते हैं। आईटी डिपार्टमेंट के मुताबिक, हसन पर 50.329 हजार करोड़, उसकी पत्नी रहीमा पर 49 करोड़ सहयोगी काशीनाथ पर 591 करोड़ और उसकी पत्नी चंद्रिका पर 20.54 हजार करोड़ रु. टैक्स बनता है।

ईडी को लगाई फटकार हसन अली के खिलाफ जांच तो 2007 से ही चल रही है, लेकिन इस मामले में तेजी पिछले सप्ताह से आई है, जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई। दूसरी तरफ, हसन अली के लिए 14 दिन की रिमांड मांग रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बुधवार को अदालत की कड़ी फटकार सुननी पड़ी।

ईडी ने सोमवार को हसन अली को उसके पुणो स्थित घर से हिरासत में लिया। इसके बाद उसी रात मुंबई में पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था, तब से अब तक उसे दो बार जज तहलियानी के सामने पेश किया जा चुका है। तहलियानी ने बुधवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग (अवैध धन को वैध बनाने) की धारा-44 के तहत मामले की सुनवाई शुरू की तो ईडी की वकील नीति पुंडे अपने तर्को से अदालत को सहमत नहीं कर पाईं। इस पर तहलियानी ने उन्हें फटकारते हुए कहा कि आप कोई भी मामला बनाने में सक्षम नहीं हैं और चाहते हैं कि मैं आपको सुनूं। आप आरोपी की क्यों रिमांड चाहते हैं। आप अली के खिलाफ एक आरोप पुष्ट करें, मैं रिमांड दे दूंगा।

क्या हैं ईडी के पास सबूतप्रवर्तन निदेशालय ने जनवरी 2007 में दायर केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट दी। इसमें आयकर विभाग, मुंबई के अतिरिक्त निदेशक से मिली रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि हसन अली, रीमा अली, फैसल अब्बास की ओर से आयकर रिटर्न जमा नहीं किया गया है, जबकि वे 8 अरब डॉलर से अधिक के लेन-देन में शामिल हैं। ईडी के पास यूबीएस, ज्यूरिख की ओर से 8 दिसंबर 2006 को हसन अली को भेजा गया पत्र है जिसमें लिखा था कि यह रकम उनके यहां जमा है और उन्हें 6 अरब डॉलर निकालने की इजाजत है।

यूबीएस, ज्यूरिख के इसी खाते से पता चलता है कि चार महीने में इस खाते में जमा रकम 1.38 अरब डॉलर से अधिक और बढ़ गई। ईडी को इस बात की भी जानकारी है कि कई लाख रुपए के करीब 20 घोड़े, करोड़ों की कारें, जिनमें मर्सिडीज बेंज, एक पोर्श, हुंडई सोनाटा, ओपल एस्ट्रा, एक स्कोडा कार शामिल हैं नगद भुगतान कर हसन ने खरीदीं थीं।

आयकर विभाग ने उनके यहां से भारी मात्रा में नगद और करोड़ों रु. के जेवर बरामद किए। हसन अली खान के लेन-देन भारतीय बैंकिंग कानून का गंभीर उल्लंघन हैं। सरकारी एजेंसियों के अनुसार हसन के कारोबारी कामकाज से साफ है कि उसकी मंशा काली कमाई को विदेश में जमा करने की थी। आतंकवादी गतिविधियों और इस अवैध रकम के बीच मिलीभगत की गहरी जांच की बात ईडी ने की थी।

1970-1970 में एंटीक का काम बंद कर कार रेंटल सर्विस शुरू की। 1

988-में यह काम छोड़कर दुबई गया। धातुओं का कारोबार शुरू किया।

1990-से 93 तक धोखाधड़ी के 6 मामले दर्ज हुए, नाम पड़ा चोर हसन।

1993-मुंबई के रेसकोर्स में रेस में पैसा लगाया।शुरुआत दो घोड़ों से की।

1995-तक घुड़दौड़ का कारोबार चेन्नई, पुणो, दिल्ली व बेंगलूरु तक बढ़ा।

2000-2000 में हैदराबाद से स्थाई रूप से पुणो आकर बस गया।


साभार- भास्कर.कॉम

‘पीएम कर रहे गुमराह’

वि‍कीलीक्‍स के संस्थापक जूलियन असांजे ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया है। एक टीवी चैनल से बातचीत में असांजे ने कहा, ‘विकीलीक्स के खुलासे बिलकुल सही हैं। पीएम देश को गुमराह कर रहे हैं।’
संसद में नोटों के बंडल उछाले जाने के करीब ढाई साल बाद विकीलीक्स के खुलासों में सामने आए गोपनीय संदेशों में भी दोहराया गया कि तब मनमोहन सरकार को बचाने के लिए सांसदों की खरीद-फरोख्त हुई थी। इस पर मचे हंगामे के बाद खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इससे इनकार किया। लेकिन, असांजे का कहना है इन खुलासों का पुख्ता आधार है और मनमोहन सिंह अपने देश को गुमराह कर रहे हैं।
साभार- दैनिक भास्कर

सरकार बचाने के लिए खरीद लिए गए सांसद

विकिलीक्स ने एक और सनसनीखेज खुलासा करते हुए 2008 के इंडो-यूएस न्यूक्लियर डील पर दाग लगा दिया है। खुलासे में कहा गया कि यूपीए सरकार ने विश्वास मत हासिल करने के लिए सांसदों की खरीद-फरोख्त की थी और चौधरी अजित सिंह की पार्टी आरएलडी के सांसदों को 10-10 करोड़ रुपये मिले भी थे। विकिलीक्स के ताजा खुलासे के बाद मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी और लेफ्ट पार्टियों ने संसद में इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा है।  विकिलीक्स के खुलासे के बाद शिवसेना ने कहा है कि उसके सांसदों को भी यूपीए सरकार के ’ मैनेजरों ’ ने ऐसा ही ऑफर दिया था। पार्टी के नेता संजय राउत ने कहा कि हमारे सांसद पार्टी के प्रति वफादार हैं, इसलिए उन्होंने ऑफर ठुकरा दिया था।
विकिलीक्स के अनुसार जब डील पर वोटिंग में सिर्फ 5 दिन रह गए थे तो कांग्रेस के नेता सतीश शर्मा के सहायक नचिकेता कपूर वोटिंग में कुछ सांसदों को अपने पक्ष में करने के लिए भारी फंड की व्यवस्था में लगे थे। सतीश शर्मा को गांधी परिवार का करीबी माना जाता है। सतीश शर्मा ने एक यूएस डिप्लोमेट से कहा था कि उनकी पार्टी न्यूक्लियर डील के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रही है। वहीं नचिकेता ने कहा था कि पैसे की समस्या नहीं है, चिंता इस बात की है कि वोट सही दिशा में पड़े।  अमेरिकी दूतावास के एक कर्मचारी ने उनके पास दो पेटी कैश भी देखे थे जिसमें करीब 50 से 60 करोड़ रुपये थे। विकिलीक्स के अनुसार अजित सिंह की पार्टी आरएलडी के चार सांसदों को खरीदने के लिए 10-10 करोड़ रुपये दिए गए थे।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सरकार पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बचाने के लिए कांग्रेस ने आरएलडी सांसदों को रिश्वत दी थी,जिस वजह से आरएलडी सांसद विश्वासमत के दौरान संसद में मौजूद नहीं थे। सुषमा ने कहा कि इस सरकार को अब सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस खुलासे लोकतंत्र शर्मशार हुआ है, ये देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जिन सांसदों को घूस मिले हैं उनके नाम उनके पास मौजूद हैं। हंगामें की वजह से दोनों सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।  जबकि आरएलडी के प्रमुख अजीत सिंह ने विकिलीक्स के खुलासे का खंडन किया है। अजीत सिंह ने कहा कि जिस समय का ये मामला है तब उनके केवल तीन सांसद थे।
साभार- प्रवासी दुनिया

'सांताक्रुज में 10,000 करोड़ का जमीन घोटाला'

महाराष्ट्र विधानपरिषद में शिवसेना के सदस्यों ने सांताक्रुज में 10,000 करोड़ रुपये के भूखंड घोटाले का आरोप लगाया। उन्होंने न्यायिक जांच की मांग की , जिसे सरकार ने अस्वीकार कर दिया। सरकार के रवैये से खफा शिवसेना ने बैठक से वॉक आउट किया।

शिवसेना के सदस्य रामदास कदम ने कहा कि सांताक्रुज पूर्व सीटी सर्वे क्रमांक 12 और 13 ( गोलीबार ) की जमीन डिफेंस और इंडियन रेलवे की है। उनके पास डिफेंस का वह गोपनीय पत्र और नक्शा भी है जो बताता है कि वह जमीन किसकी है। यहां तक कि डिफेंस और रेलवे ने नगर विकास विभाग को अवगत भी कराया है और जिसे नगर विकास ने सही बताया है। यह पूरी जमीन करीब 140 एकड़ है। कदम ने कहा कि राडिया टेप मामले में इस भूखंड का भी जिक्र किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में हवाला के मार्फत 750 करोड़ रुपए का लेन - देन किया गया। यह पूरा मामला करीब 10,000 करोड़ का है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर दूसरे की जमीन पर एसआरए कैसे लागू किया जा सकता है। इस पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की श्री कदम ने की , जिसमें अन्य सदस्यों ने भी समर्थन दिया।

सदस्यों के सवालों का जवाब गृह निर्माण राज्य मंत्री सचिन अहिर ने दिया। उन्होंने कहा कि यह मामला कोर्ट में चल रहा है। इसका सिटी सर्वे नं . 13 डिफेंस की जमीन नहीं है। वह जमीन महाराष्ट्र गृहनिर्माण के नाम पर है। सिटी सर्वे नं . 12 भारत सरकार के नाम से है। वहां पर किसी निर्माण कार्य को राज्य सरकार ने अनुमति नहीं दी है। इसलिए इस मामले में किसी तरह का कोई घोटाला नहीं है , तो न्यायिक जांच किस बात की। अहिर ने इतना जरूर कहा कि श्री कदम के पास जो भी कागजात हैं उसे वे दे दें। इसकी जांच वे कराएंगे। अहिर के जवाब से नाराज शिवसेना के सभी सदस्यों ने बैठक से वॉकआउट किया। बीजेपी ने शिवसेना का साथ नहीं दिया।
साभार-इंडियाटाइम.कॉम