मंगलवार, 22 मार्च 2011

कैसे बना हसन अली अरबपति?

पुणे के घुड़दौड़ कारोबारी का धन 6 सालों में सौ गुना बढ़ गया। कैग से आज संसद में अपनी रिपोर्ट में बताया कि हसनअली खान की आय 2001-02 में 528.9 करोड़ थी, महज 6 साल में इसकी संपत्ति की उड़ान सौ गुना से भी अधिक हो गई, जो 54,268 .6 करोड़ रूपए तक पहुंच गई। हजारों करोड़ कमाने के बावजूद इसने अभी तक रिटर्न फाइल नहीं की है, कोई भी टैक्स नहीं दिया है। वर्तमान में हसन अली इडी की गिरफ्त में है।

5 साल पहले पड़ा था छापा हसन अली का नाम पहली बार सुर्खियों में पांच साल पहले तब आया जब आयकर विभाग ने पुणो में कोरेगांव पार्क स्थित उसके घर पर छापा मारा। गुप्तचर एजेंसियां हसन अली पर एक अर्से से नजर गड़ाए बैठी थीं। एक टेलीफोन वार्ता गुप्तचर एजंसियों ने टेप की थी, जिसमें हसन अली यूनियन बैंक आफ स्विट्जरलैंड के अपने पोर्टफोलियो मैनेजर से बात कर रहा था। उस पोर्टफोलियो मैनेजर से जितनी बड़ी रकम की ट्रांसफर की बात सुनी गई, उससे टेलीफोन सुनने वाले चकरा गए।

टेलीफोन वार्ता को गुप्तचर एजेंसियों की मानीटरिंग एजेंसी को सौंपा गया। अधिकारियों की समझ में नहीं आ रहा था कि हसन अली पर हाथ डाला कैसे जाए? निर्णय किया गया कि आयकर विभाग हसन अली के घर छापा मारेगा। आयकर अधिकारी जब हसन अली के घर पर छापा मारने पहुंचे तो एक मध्यमवर्गीय परिवार के मकान में 8.04 बिलियन डॉलर (करीब 38 हजार करोड़ रुपए) यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड (यूबीएस बैंक) में जमा होने के दस्तावेज मिले। आयकर विभाग के इस छापे के बाद पहली बार हसन अली का नाम सुर्खियों में आया।

इसके बाद विदेशी धन के स्रोतों की जांच की अभ्यस्त एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू की, लेकिन जल्द ही उन्हें अहसास हो गया कि वे हसन अली की ऐसी अंधी गली में प्रवेश कर गए हैं जिसका कोई अंत नहीं है। एक सीमा से आगे जाने के उनके सारे रास्ते बंद नजर आने लगे, क्योंकि हसन अली के बड़े-बड़े नेताओं से संबंध हैं। आयकर विभाग भी इस जांच को न तो जारी रख पा रहा था और न ही बंद कर पा रहा था।

आयकर नियमावली ऐसी है कि छापे के दौरान आयकर विभाग जब कागजात जब्त करता है तो वह तब तक फाइल बंद नहीं कर सकता जब तक कि संबंधित व्यक्ति खुद यह साबित न कर दे कि उसके यहां मिले कागज अर्थहीन हैं। अगर संबंधित व्यक्ति यह साबित नहीं सकता है तो उसके खिलाफ आयकर विभाग कार्रवाई करने के लिए बाध्य होता है। इसलिए आयकर विभाग ने हसन अली के पास से बरामद दस्तावेजों के आधार पर उसके खिलाफ करीब 40 हजार करोड़ रुपए का कर बकाया होने का नोटिस जारी किया।

इनसे जुड़ा है नाम हसन अली खान के स्विस खातों और अकूत दौलत की शुरूआत 1982 में 15 लाख डॉलर से हुई थी। इस पूरे घटनाक्रम के दो प्रमुख पात्र हैं, एक तो अदनान खशोगी और दूसरा पीटर वैली। सऊदी का निवासी अदनान खशोगी 1980 में दुनिया का सबसे अमीर आदमी था। वह दुनिया के बड़े हथियार डीलरों में एक है।

स्विस बैंक का पोर्टफोलियो मैनेजर पीटर वैली खशोगी का पोर्टफोलियो देखता था और बाद में वह खान का भी मैनेजर बन गया। हसन पर आरोप है कि उसने अदनान खशोगी के अवैध धन को निवेश करने में मदद की और बड़े पैमाने पर उसका धन भारत में भी खपाया। खुफिया एजेंसियों को शक है कि खान के संबंध दाऊद से भी हैं। ईडी इसकी भी जांच कर रहा है कि क्या हसन ने अरबों डॉलर का कालाधन पार्टिसिपेटरी नोट (पीएन) के जरिए भारत के शेयर बाजारों में लगाया है। यदि हां, तो वह राशि कितनी है?

बड़े नेताओं का है हाथ हसन अली पर सालों से नजर रख रही कई सरकारी एजेंसियां अगर उसे गिरफ्तार नहीं कर सकीं तो यह सिर्फ उनकी नाकामी नहीं है। इसके पीछे का कारण कुछ और है। हसन को कई बड़े नेताओं का आश्रय मिला है। एक वीडियो रिकॉर्डिग में जब पुलिस वाले हसन से उसके स्विस बैंक में जमा रुपयों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं तो वह उनसे कह रहा है कि तुम लोग पासपोर्ट के बारे में पूछो। यूसुफ लकड़वाला की दो नेताओं से बात चल रही है, स्विस बैंक का मामला सेटल हो जाएगा। वर्तमान परिस्थितियों में उसका दावा सही साबित होता दिख रहा है। केंद्रीय जांच एजेंसियां भी उस पर तभी हाथ डालती हैं, जब सुप्रीम कोर्ट कड़ा रुख अपनाती हैं।

शीर्ष अदालत हुई सख्तशीर्ष अदालत ने सरकार से पूछा कि हथियार कारोबारियों और आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों से संपर्क रखने के आरोप में हसन अली के खिलाफ पोटा सहित अन्य सख्त कानूनों के तहत मुकदमा क्यों नहीं दर्ज कराया गया? विदेशों में काला धन रखने के आरोप में ईडी ने हसन को गत सोमवार देर रात गिरफ्तार किया था।

आयकर विभाग ने 2007 में हसन अली के घर छापा भी मारा था। आरोप है कि हसन अली विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के लिए एजेंट के तौर पर काम करता है। इसके बदले वह ऐसे लोगों से कमीशन वसूलता है। खान पर 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक की कर चोरी का भी आरोप है।

सरकार ने पिछले साल राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि हसन अली पर यह बकाया ब्याज सहित 70 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक हो गया है। ईडी ने 2007 में स्विस बैंक से हसन अली के अकाउंट का ब्यौरा मांगा था। मगर, स्विस बैंक ने उससे जुड़ी जानकारियां भारतीय जांच एजेंसियों को साझा करने से मना कर दिया था। उन्होंने इसके लिए तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करना स्विस कानूनों के तहत अपराध नहीं है।

हेल्थ बजट से ज्यादा टैक्स इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हसन अली व उसके सहयोगियों से अब 71 हजार 845 करोड़ रुपए टैक्स की मांग की है। यह राशि देश के स्वास्थ्य बजट और सालान वसूले जाने वाले सर्विस टैक्स से ज्यादा है। इसके अलावा, यह राशि हमारे देश के इस साल के रक्षा बजट (1.64 लाख करोड़ रुपए) से आधे से थोड़ी ही कम है।

जाहिर है जब टैक्स बकाया इतना है तो कमाई कितनी होगी। वैसे आपको बता दें कि हैदराबाद का राजीव गांधी क्रिकेट स्टेडियम 65 हजार करोड़ में बना था। इसमें 40 हजार लोग बैठ सकते हैं। आईटी डिपार्टमेंट के मुताबिक, हसन पर 50.329 हजार करोड़, उसकी पत्नी रहीमा पर 49 करोड़ सहयोगी काशीनाथ पर 591 करोड़ और उसकी पत्नी चंद्रिका पर 20.54 हजार करोड़ रु. टैक्स बनता है।

ईडी को लगाई फटकार हसन अली के खिलाफ जांच तो 2007 से ही चल रही है, लेकिन इस मामले में तेजी पिछले सप्ताह से आई है, जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई। दूसरी तरफ, हसन अली के लिए 14 दिन की रिमांड मांग रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बुधवार को अदालत की कड़ी फटकार सुननी पड़ी।

ईडी ने सोमवार को हसन अली को उसके पुणो स्थित घर से हिरासत में लिया। इसके बाद उसी रात मुंबई में पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था, तब से अब तक उसे दो बार जज तहलियानी के सामने पेश किया जा चुका है। तहलियानी ने बुधवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग (अवैध धन को वैध बनाने) की धारा-44 के तहत मामले की सुनवाई शुरू की तो ईडी की वकील नीति पुंडे अपने तर्को से अदालत को सहमत नहीं कर पाईं। इस पर तहलियानी ने उन्हें फटकारते हुए कहा कि आप कोई भी मामला बनाने में सक्षम नहीं हैं और चाहते हैं कि मैं आपको सुनूं। आप आरोपी की क्यों रिमांड चाहते हैं। आप अली के खिलाफ एक आरोप पुष्ट करें, मैं रिमांड दे दूंगा।

क्या हैं ईडी के पास सबूतप्रवर्तन निदेशालय ने जनवरी 2007 में दायर केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट दी। इसमें आयकर विभाग, मुंबई के अतिरिक्त निदेशक से मिली रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि हसन अली, रीमा अली, फैसल अब्बास की ओर से आयकर रिटर्न जमा नहीं किया गया है, जबकि वे 8 अरब डॉलर से अधिक के लेन-देन में शामिल हैं। ईडी के पास यूबीएस, ज्यूरिख की ओर से 8 दिसंबर 2006 को हसन अली को भेजा गया पत्र है जिसमें लिखा था कि यह रकम उनके यहां जमा है और उन्हें 6 अरब डॉलर निकालने की इजाजत है।

यूबीएस, ज्यूरिख के इसी खाते से पता चलता है कि चार महीने में इस खाते में जमा रकम 1.38 अरब डॉलर से अधिक और बढ़ गई। ईडी को इस बात की भी जानकारी है कि कई लाख रुपए के करीब 20 घोड़े, करोड़ों की कारें, जिनमें मर्सिडीज बेंज, एक पोर्श, हुंडई सोनाटा, ओपल एस्ट्रा, एक स्कोडा कार शामिल हैं नगद भुगतान कर हसन ने खरीदीं थीं।

आयकर विभाग ने उनके यहां से भारी मात्रा में नगद और करोड़ों रु. के जेवर बरामद किए। हसन अली खान के लेन-देन भारतीय बैंकिंग कानून का गंभीर उल्लंघन हैं। सरकारी एजेंसियों के अनुसार हसन के कारोबारी कामकाज से साफ है कि उसकी मंशा काली कमाई को विदेश में जमा करने की थी। आतंकवादी गतिविधियों और इस अवैध रकम के बीच मिलीभगत की गहरी जांच की बात ईडी ने की थी।

1970-1970 में एंटीक का काम बंद कर कार रेंटल सर्विस शुरू की। 1

988-में यह काम छोड़कर दुबई गया। धातुओं का कारोबार शुरू किया।

1990-से 93 तक धोखाधड़ी के 6 मामले दर्ज हुए, नाम पड़ा चोर हसन।

1993-मुंबई के रेसकोर्स में रेस में पैसा लगाया।शुरुआत दो घोड़ों से की।

1995-तक घुड़दौड़ का कारोबार चेन्नई, पुणो, दिल्ली व बेंगलूरु तक बढ़ा।

2000-2000 में हैदराबाद से स्थाई रूप से पुणो आकर बस गया।


साभार- भास्कर.कॉम

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