दिल्ली में अक्टूबर महीने में 19वें कॉमनवेल्थ गेम्स सफलतापूर्वक संपन्न हुए और भारत ने 38 स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रौशन किया। पर कॉमनवेल्थ गेम्स होने से पहले ही जो सच सबके सामने आया वह बेहद चौंकाने वाला था। तकरीबन 2000 करोड़ रूपए के कॉमनवेल्थ घोटाले में पानी के मग से लेकर एसी और छतरी से लेकर ट्रेडमिल की बात हो या फिर कुर्सी से लेकर फ्रिज-कूलर तक खरीदने अथवा किराए पर लेने की बात हो या स्टेडियम और टेनिस टर्फ कोर्ट के निर्माण का मामला। हर चीज में जमकर धांधली हुई। इतना ही नहीं कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन की तैयारियों के नाम पर आयोजन से जुड़े अधिकारी व कर्मचारी विदेश यात्रा का लुत्फ उठाते रहे। वहीं, बैठकों में चाय नाश्ते के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई के लाखों रूपए उड़ाए गए।
आयोजन समिति ने कॉमनवेल्थ गेम्स में 45 दिनों के लिए ट्रेडमिल, फ्रिज, कूलर और एसी जैसी कई चीजें किराए पर लेने की बात कही लेकिन चौंकाने वाली बात यह थी कि इन सामानों का किराया इनकी कीमत से कहीं अधिक था।
14 अक्टूबर को शानदार ढंग से गेम्स खत्म होने के बाद एक बार फिर कॉमनवेल्थ घोटाले की पोटली खुल गई और कई अधिकारियों पर इसकी गाज गिरी। आयोजन समिति के टीएस दरबारी, संजय महेन्द्रू और एम जयचंद्रन को सीबीआई हिरासत में जाना पड़ा। यही नहीं, सीबीआई आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी पर भी शिंकजा कसने की तैयारी में है। विपक्ष ने भी संसद के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे को उठाकर खूब हंगामा मचाया।
सरकार को 2000 करोड़ का घाटा
राष्ट्रमंडल खेलों से सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा। भले ही राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति ने दावा किया था कि वह सरकार से मिली एक-एक पाई चुका देगी लेकिन नवंबर महीने में लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों ने समिति के दावों की पोल खोलकर रख दी। सरकार को इन खेलों में लगभग 2000 करोड़ रूपए का घाटा हुआ।
केंद्रीय खेल राज्य मंत्री प्रतीक प्रकाशबापू पाटिल के मुताबिक सरकार ने आयोजन समिति को 2307.82 करोड़ रूपए जारी किए थे, जिसमें से 1669.42 करोड़ रूपए इन खेलों के आयोजन के लिए, ओवरलेज के लिए 557.40 करोड़ रूपए और टाइमिंग, स्कोरिंग तथा रिजल्ट सिस्टम के लिए 81 करोड़ रूपए दिए गए थे।
ऋण से कम राजस्व2307.82 करोड़ रूपए के ऋण के मुकाबले केवल 327.03 करोड़ रूपए का ही राजस्व प्राप्त हो पाया, जिससे सरकार को 1980.79 करोड़ रूपए का घाटा हुआ। उन्होंने बताया कि आयोजन समिति ने मर्केडाइजिंग के माध्यम से 500 करोड़ रूपए का राजस्व अर्जित करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसे हासिल नहीं किया जा सका। [साभार पत्रिका]
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