बिहार के गोपालगंज में आजादी के एक साल बाद 1948 में एक निहायत ही गरीब परिवार में जन्मे लालू ने राजनीति की शुरूवात जयप्रकाश आन्दोलन से की, तब वे एक छात्र नेता थे, और बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि लालू ने वकालत भी की हुई है। 1977 में आपातकाल(इमरजेंसी) के बाद हुए लोकसभा चुनाव में लालू जीते और पहली बार लोकसभा पहुँचे, तब उनकी उम्र मात्र 29 साल थी। 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे। लेकिन सबसे सही समय उनके जीवन मे आया 1990 में जब वह बाकी धुरंधर और घाघ नेताओं को छकाते और ठेंगा दिखाते हुए बिहार के मुख्यमंत्री बने। यह अत्यन्त अप्रत्याशित था तो असंतोष स्वाभाविक ही था, अनेक आंतरिक विरोधों के बावजूद वे अगले चुनाव यानि कि 1995 मे भी भारी बहुमत से विजयी रहे और अपने आपको सही साबित किया। लालू यादव के विरोधी किसी मोके का सिर्फ इंतजार ही कर सकते थे। लालू जी के जनाधार मे MY यानि मुस्लिम और यादवो के फैक्टर का बङा योगदान है, लालू जी ने इससे कभी इन्कार भी नहीं किया, और लगातार अपने जनाधार को बढाते रहे।
लेकिन जैसा कि हर राजनेता के जीवन मे कुछ कठिन पल आते है, सो 1997 में जब सीबीआई ने उनके खिलाफ चारा घोटाले में आरोप पत्र दाखिल किया तो उन्हे मुख्यमंत्री पद से हटना पङा, लेकिन अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बने रहे, जिससे अपरोक्ष रूप से सत्ता की कमान भी उनके हाथ ही रही। लेकिन राबड़ी देवी ने भी लोक सभा में बहुमत साबित किया और बिहार की मुख्या मंत्री रही। चारा मामले मे लालू जी को जेल भी जाना पङा,लेकिन लालू यादव के पास साशन की आची क्षमता रखने वाले हैं। फिर पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए की करारी हार के बाद के बाद लालू प्रसाद ने दिल्ली की सत्ता की तरफ रुख किये,वे तो गृह मन्त्री बनना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस सरकार में रेलमन्त्री बनने को राजी हो गये। श्री यादव के समय रेल की सेवा अच्छी रही और घाटे में चल रही रेल सेवा फिर से फायदे में आई।
अपनी बात कहने का लालू का खास अन्दाज है, यही अन्दाज लालू को बाकी राजनेताओ से अलग करता है, लालू का अन्दाज ही कुछ निराला है.पत्रकार तो इनके आगे पीछे मन्डराते रहते है, और बस इन्तजार करते है कि कब लालू कुछ बोलें और ये लोग छापे…..सीधा साधा मामला है, लोग लालू के बारे मे पढना पसन्द करते है. बिहार की सड़को को हेमा मालिनी के गालों की तरह बनाने का वादा हो या रेलवे मे कुल्हड़ की शुरुवात, लालू हमेशा से ही सुर्खियों मे रहे.इन्टरनेट मे आप लालू के लतीफों का अलग ही सेक्शन पायेंगे…. लालू के आलोचक चाहे कुछ भी कहें मेरी नजर मे लालू एक आक्रामक और हाजिरजवाब राजनेता है,जिनका एक अच्छा खासा जनाधार है.
लालू का एक ही सपना है, भारत का प्रधानमन्त्री बनना, अब देंखे इनका यह सपना कब पूरा होता है.
tum chutia ho Laloo was not from a poor family. Poor family cannot for a party it needs lots alots of money
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