कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येडि्डयूरप्पा भी इस साल जमीन घोटाले को लेकर आरोपों में घिरे। हालांकि, घोटाले में फंसने के बाद उनकी कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा टल गया और आखिरकार भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें सीएम पद पर बनाए रखने का फैसला लिया।
येडि्डयूरप्पा ने सरकारी प्लॉट पर हेरफेर करके अपने बेटों और बहुओं को उनके रियल एस्टेट व्यापार के लिए दे दिए थे। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री येडि्डयूरप्पा ने दुबई के एक उद्योगपति के अनुरोध पर 11.25 एकड़ सरकारी जमीन कथित तौर पर डीनोटिफाई करवाई। इस उद्योगपति की येडि्डयूरप्पा के बेटे की रियल एस्टेट फर्म में भागीदारी है। डिनोटिफिकेशन के एक महीने बाद ही नई कंपनियां खोली गईं।
विपक्ष के हमले तेज होने के बाद येडि्डयूरप्पा ने कहा था कि अगर विपक्ष को एतराज न हो तो वह सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज से पिछले दस साल के भूमि डीनोटिफिकेशन और आवंटन की जांच कराने को तैयार हैं। येडि्डयूरप्पा ने स्वीकार किया था कि उन्होंने अपने बेटों को प्लॉट आवंटित किए। बाद में येडि्ड ने अपने बेटे बी. वाई विजेंद्र और बेटी उमादेवी से तुरंत सरकारी आवास खाली करने का फरमान दे दिया था। [साभार पत्रिका]
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