शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

मेरा भारत महान!

नमस्कार,
जैसा कि आप सबको पता है कि मेरा भारत महान है. यहाँ की सभ्यता और संस्कृति दुनिया के बाकी देशों के लिए एक आदर्श प्रेरणास्रोत रही है, हमारे देश को प्राचीनकाल में सोने की चिड़िया कहा जाता था क्योंकि उस समय भारत की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत थी और विदेशों से जो व्यापारी यहाँ व्यापार करने आते थे वह यहाँ से सोने-चांदी और हीरे -मोती के साथ अपने देश वापस लौटते थे, इसलिए विदेशों में भारत को सोने की  चिड़िया कहा जाता था. उसके बाद पहले मुगलों ने और फिर अंग्रेजो ने भारत की धन-सम्पदा को जमकर लूटा. खैर किसी तरह से आजादी मिली तो हमने फिर से अपनी खोई हुई विरासत को पाने का प्रयास किया और उसमे काफी कुछ सफलता भी मिली. मगर इस समय हमारा देश इस स्थिति से गुजर रहा है कि बागवान ही बाग़ को उजाड़ रहे हैं मतलब हमारे देश में उच्च पदों पर बैठे नौकरशाह, नेता, मंत्रीगण से लेकर ग्रामपंचायत के सचिव और सरपंच तक भ्रष्टाचार में इस तरह आकंठ डूबे हुए हैं कि आम जनता को कहीं कोई रास्ता ही नजर नहीं आता. यहाँ पर इस ब्लॉग के माध्यम से  भ्रष्टाचार से सम्बंधित ख़बरें और आंकड़े एक ही जगह उपलब्ध करवाने की  मेरी कोशिश रहेगी.  ख़बरों के लिए आप सब का सहयोग अपेक्षित है. जय हिंद! [kdsharmambbs@gmail.com]

2 टिप्‍पणियां:

  1. Ye to bahut hi srahniya karya hai. Aaap jaise Naujawano se hum buddho ko yahi ummid thi. Jo hum na kar sake wo aap kar ke dikhla dojiye. Ye ghotale baazo ka unke karnamo ka lekha jokha ka aap man sakte hai ye ek adda hai. Yanha aap use Nangge dekh sakte hai unke kali kartooto ko. Usi trah jaise ek Nirvastra Vaisya.

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